झिक्कल काम्ची उडायली
रमाकांत बेंजवाल
‘झिक्कल काम्ची उडायली’ प्रो० उमा भट्ट और प्रो० चन्द्रकला रावत के संपादन में उत्तराखंड की भाषाओं का व्यावहारिक शब्दकोश ‘पहाड़’ द्वारा प्रकाशित किया गया है।
‘झिक्कल’ शब्द राजी का है इसका अर्थ ‘बहुलता’ होता है। ‘काम्ची’ मार्च्छा का शब्द है जिसका अभिप्राय ‘भाषा’ होता है। जौनसारी में ‘उडायली’ ‘टोकरी’ को कहा जाता है। शीर्षक का अर्थ हुआ बहुत सारी भाषाओं की टोकरी। इस शब्दकोश में कुमाऊनी, गढ़वाली, जाड़, जोहारी, जौनपुरी, जौनसारी, थारू, बंगाणी, बोक्साड़ी, मार्च्छा, रं-ल्वू, रंवाल्टी, राजी कुल १३ लोकभाषाएं हैं। मूल प्रविष्टि हिंदी में है। कोश में १५०० आधारभूत शब्द हैं। सभी भाषाओं की सांस्कृतिक शब्दावली परिशिष्ट में अलग से दी गई है। परिशिष्ट में सभी लोकभाषाओं का एक पृष्ठ गद्य खण्ड तुलनात्मक अध्ययन के लिए भी दिया गया है। इस शब्दकोश के लिए अम्बरीश चन्द्र चमोली, इन्द्र सिंह नेगी, इन्द्र सिंह फोनिया, प्रो० उमा भट्ट, कमलेश उप्रेती, प्रो० चन्द्रकला रावत, जगदीश पंत, डी आर सीपाल, बलवीर सिंह रावत, सुरेन्द्र पुण्डीर, महावीर रवांल्टा, रमाकांत बेंजवाल, राजेश प्रसाद, रिंकी राणा, शेर सिंह पांगती, सिद्धेश्वर सिंह, सुरेश ममगांई, शान्ति नबियाल, सरोजनी पाण्डे, हेमंचला ने कार्य किया है। प्रो० शेखर पाठक ने ‘भाषाओं का इन्द्रधनुष’ शीर्षक से भूमिका लिखी है। उत्तराखंड की लोक-भाषाओं के लिए यह कार्य अभिनव है। तुलनात्मक शब्द-संपदा जानने के लिए पठनीय एवं संग्रहणीय भी।