मिट्टी, पानी और बयार
अरुण कुकसाल
मिट्टी, पानी और बयार, ये हैं जीवन के आधार
आदरणीय धूम सिंह नेगी जी में अध्यापक, कृषक, सामाजिक कार्यकर्ता और इन सबके ऊपर एक नेक, सहृदय एवं धीर-गम्भीर व्यक्तित्व के दर्शन होते हैं. वे जमी-जमायी अध्यापकी छोड़ कर सन् 1974 में सुन्दर लाल बहुगुणा जी के साथ पूर्णकालिक सामाजिक कार्यकर्त्ता बन कर जुड गये थे. पर्यावरणविद सुन्दर लाल बहुगुणा जी के कार्यों को और सुन्दर बनाने में धूम सिंह नेगी जी का सर्वाधिक योगदान है. भले ही यह तथ्य धूम-धाम से प्रचारित-प्रसारित न हुआ हो. टिहरी की हेंवल घाटी में 70 के दशक में ‘चिपको आन्दोलन’ की अलख जगाने वाले अध्यापक धूम सिंह नेगी ही थे. तब चिपको आन्दोलन की युवा टीम प्रताप शिखर, कुंवर प्रसून, विजय जड़धारी के वे अग्रणी थे. उन्होने वन, खनन, शराब आन्दोलनों और हिमालय की कठिनतम पैदल याञाओं के जरिये जीवन के अनुभव हासिल किये. और उनकी यह याञा अभी भी अनवरत जारी है. धूम सिंह नेगी जी के बचपन से ही लिखना – पढ़ना आदत में रहा है. आज भी यह सिलसिला जारी है. देश के अखबारों और पञिकाओं में धूम सिंह नेगी जी के लेख चर्चित एवं लोकप्रिय रहे हैं. उनके प्रशंसकों में पाठकों और सामाजिक कार्यकर्ताओं का एक वृहद वर्ग है. यह प्रसन्नता की बात है कि ‘युगवाणी प्रकाशन’ देहरादून ने नेगी जी के तमाम अखबारों, पञिकाओं, पुस्तकों एवं अन्य में बिखरे लेखों को संकलित एवं व्यवस्थित कर पुस्तक ‘मिट्टी पानी और बयार’ प्रकाशित की है. ‘पहाड़ी जीवन की लेखमाला’ उपशीर्षक लिए इस पुस्तक में धूम सिंह नेगी जी के 43 लेख संग्रहित है. पहाड़ की पारस्थिकीय संरचना, स्थिति और यहां के मानवीय समाज के मिजाज को जानने, समझने और समाधानों के दृष्टिगत यह महत्वपूर्ण किताब है. पर इससे कहीं ज्यादा यह किताब एक एेसी शक्सियत के अनुभवों को महसूस कराती है जिसका संपूर्ण जीवन केवल सामाजिक सरोकारों के लिए ही सर्मपित रहा है. आज के दौर में सामाजिक हित और कल्याण केवल आयोजनों तक ही सिमट कर रह गये है. वहां यह किताब जीवन के मूलभूत आधारों को जीवंत रखने का संदेश देती है. पुन: ‘युगवाणी परिवार’ विशेषकर भाई ‘संजय कोठियाल’ को धूम सिंह नेगी जी के लेखन को समग्रता में प्रकाशित करने के लिए बधाई और धन्यवाद.
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