कैंची धाम नैनीताल
मुकेश काला
श्रीनगर से गैरसैंण, द्वाराहाट, रानीखेत भवाली होकर कैंची धाम मंदिर में पधार कर माता वैष्णवी और नीम करोली बाबा के दर्शन हुए। कैंची धाम मंदिर श्रीनगर से लगभग 250 कि० मी० (ढाई सौ किलोमीटर) दूर 8 घंटे का निजी वाहन द्वारा सफर होता है। यात्रा में श्री पदमेन्द्र लिंगवाल, चन्द्रमोहन बिष्ट, मनोज नौडियाल, मनमोहन चौहान, नरेन्द्र पुण्डीर, रजनीश अणथ्वाल, बिजेन्द्र भट्ट, लक्षमण सिंह रावत, विपिन रांगण आदि शामिल थे। इस आधुनिक तीर्थ स्थल पर बाबा नीब करौली महाराज का आश्रम है। प्रत्येक वर्ष की 15 जून को यहां पर बहुत बडे मेले का आयोजन होता है, जिसमें देश-विदेश के श्रद्धालु भाग लेते हैं। इस स्थान का नाम कैंची मोटर मार्ग के दो तीव्र मोडों के कारण रखा गया है। इसका कैंची से कोई संबंध नहीं।
हमारे देश में सैकड़ों ऐसी जगहें मौजूद हैं, जिनके विख्यात होने के बावजूद बहुत ही कम लोगों को उनके बारे में जानकारी होती है। ऐसा ही एक स्थान है एक दिव्य, रमणीक, लुभावना स्थल कैंची धाम। यहां सड़क कैंची की तरह दो मोड़ों से होकर आगे बढ़ती है इसीलिए इस जगह का नाम कैंची मोड़ और मंदिर का नाम कैंची धाम पड़ गया। जिसे नीम करोली बाबा का कैंची धाम नाम से भी जाना जाता है। कहते हैं कि 1964 में उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद जिले के एक गांव अकबरपुर से लक्ष्मी नारायण शर्मा नामक एक युवक ने यहां आ कर रहना शुरू किया था। चूँकि यहां आने से पहले उस युवक ने फर्रूखाबाद के गांव नीब करौरी में कठिन तपस्य़ा की थी, इसी कारण वे बाबा नीम करौली कहलाने लगे। महाराजजी की गणना बीसवीं शताब्दी के सबसे महान संतों में होती है।
उन्होंने 15 जून,1964 को कैंची धाम में हनुमान जी की मूर्ति की प्रतिष्ठा की, तभी से 15 जून प्रतिष्ठा दिवस के रूप मे मनाया जाता है। चारों ओर से ऊँचे-ऊँचे पहाड़ों से घिरे परिसर में हनुमान जी के अलावा भगवान राम एवं सीता माता तथा देवी दुर्गा जी के साथ-साथ करोली बाबा का भी मंदिर है जिसमें उनकी बिलकुल सजीव सी प्रतिमा स्थापित है, जिसे देख एक क्षण के लिए तो दर्शनार्थी भी चकमा खा जाता है ! कैंची धाम मुख्य रूप से बाबा नीम करौली और हनुमान जी की महिमा के लिए प्रसिद्ध है। ऐसी मान्यता है कि यहाँ आने पर व्यक्ति अपनी सभी समस्याओं के हल प्राप्त कर सकता है।
हर साल यहां 15 जून को विशाल मेला लगता है जिसमें देश-विदेश से भक्तजन यहां पधारकर अपनी श्रद्धा व आस्था को व्यक्त करते हैं। मान्यता है कि यहां पर श्रद्धा एवं विनयपूर्वक की गयी पूजा कभी भी व्यर्थ नहीं जाती है तथा मांगी गयी हर मनौती पूर्णतया फलीभूत होती है। बाबा को यह जगह बहुत पसंद थी, वे यहां अपने निर्वाण दिवस 11 सितम्बर, 1973 तक अक्सर आते रहे थे। उनके साथ अनेक अलौकिक कथाएं जुडी हुई हैं। उन्होंने अपने तपो-बल से लोगों का सदा उपकार कर उन्हें कष्टों, मुसीबतों से निजात दिलवाई। उनके भक्त तो उन्हें हनुमान जी का ही रूप मानते हैं। कैंची धाम और खासकर स्वर्गीय नीम करौली बाबा के भक्तों की यहां खूब आस्था है। Apple के संस्थापक स्टीव जॉब्स और Facebook के संस्थापक व मौजूदा सीईओ मार्क जुकरबर्ग ने भी कैची मंदिर आकर अपने जीवन को एक नई राह दी और अपार सफलता हासिल की। इसके अलावा जूलिया रॉबर्ट्स, डॉक्टर रिचर्ड एल्पेर्ट और मशहूर लेखक डेनियल भी यहां आ चुके हैं।