November 23, 2024



नूरानांग डे – भारतीय सेना का गौरवशाली दिन

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अर्जुन बिष्ट


फोर गढ़वाल का नूरानांग डे मतलब भारतीय सेना का एक गौरवशाली दिन, बटालियन के बैटल ऑनर पर एकत्र हुए बटालियन के पूर्व सैनिक. बात कोई 59 साल पुरानी है। आज के ही दिन 19६2 के भारत चीन युद्ध में गढ़वाल राइफल्स की चौथी बटालियन ने नेफा ( वर्तमान अरुणांचल प्रदेश) में चीनी लाल सेना के जो छक्के छुड़ाये थे वह किसी से छुपा नहीं है। उस युद्ध के हीरो लेफ्टिनेंट कर्नल बीएम भट्टाचार्य व राइफलमैन जसवंत सिंह रावत थे। दोनों को महाबीर चक्र से भी सम्मानित किया गया था। भारत—चीन के बीच हुई इस जंग में बेशक भारत को बुरी तरह शिकस्त मिली थी, लेकिन चौथी गढ़वाल राइफल ने इस युद्ध में जो पराक्रम दिखाया वह भारतीय सैन्य इतिहास में स्वर्णाक्षरों में लिखा गया है। इस युद्ध में मेरे पिता बलवंत सिंह बिष्ट जी ने भी भाग लिया और वे भी फोर गढ़वाल के बचे हुए सैनिकों के साथ चीनी सेना द्वारा बंदी बना लिये गये थे।

17 नवंबर का दिन फोर गढ़वाल राइफल के लिए एक गौरव का दिन है। भारत चीन युद्ध में गढ़वाल राइफल ने नूरांनाग में चीनी सैनिकों के छक्के छुड़ा दिए थे। बटालियन को बैटल आनर के रूप में नूरानांग डे का अवार्ड मिला। एक्स सर्विसमैन लीग के कार्यालय में इस युद्ध के 162 शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिए कार्यक्रम का आयोजन किया गया। मेरे पिता श्री बलवंत सिंह जी को आज के इस कार्यक्रम में विशेष रूप से बटालियन के सेवानिवृत्त अधिकारियों जेसीओ और जवानों ने बुलाया। कार्यक्रम में ब्रिगेडियर (रि.) जेपी सिंह वीएसएम, ब्रिगेडियर (रि.) बीपीएस गुसाईं, ब्रिगेडियर (रि.) आरएस रावत वीएसएम, कर्नल (रि.) वीएस नेगी, सुबेदार मेजर जयमल सजवाण आदि ने पिता जी से उस युद्ध के किस्से सुने। सभी लोग पिता जी की याददास्त और उस समय की बातें गंभीरतापूर्वक सुनते रहे। उन्होंने पिता जी से इस युद्ध के दौरान चीनी सैनिकों के साथ हुई मुठभेड़ की घटनाओं को विस्तार से सुना।


पिता जी आज के कार्यक्रम में अकेले ऐसे सैनिक थे जिन्होंने चीनी सेना के साथ 1962 में दो—दो हाथ किये थे। आज के कार्यक्रम में सुबेदार/ आनरेरी कैप्टन नंदन बड़ोला, आनरेरी लेफ्टिनेंट दलबीर सिंह नेगी एसएम, सुलतान सिंह, दिगपाल मणि, विक्रम चौधरी सहित बड़ी संख्या में फोर्थ गढ़वाल राइफल के सेवानिवृत्त अधिकारी, जेसीओ व एनसीओ मौजूद थे। इस बेहतरीन आयोजन के लिए ब्रिगेडियर आरएस रावत साहब का आभार। रावत साहब हर वर्ष नूरानांग डे पर गढ़वालियों के पराक्रम को याद करना नहीं भूलते। गढ़वाल राइफल्स के पूर्व अधिकारी होने के साथ ही ब्रिगेडियर रावत साहब का फोर गढ़वाल से एक गहरा नाता है। 1962 में जब चीनी सेना के साथ युद्ध के बाद बटालियन को बहुत नुकसान उठाना पड़ा तो उनके पिता अब स्वर्गीय कर्नल इंद्र सिंह रावत (कीर्ति चक्र) साहब को इस बटालियन को पुन: रेज करने का मौका मिला। कर्नल साहब को आईटीबीपी का पहला सीओ बनने का भी गौरव मिला। आज इस मौके पर फोर गढ़वाल राइफल के अमर शहीदों के साथ ही कर्नल इंद्र सिंह रावत को भी भावपूर्ण श्रद्धांजलि।