उत्तराखंड राज्य – अटल नहीं सहमत थे
डॉ. योगेश धस्माना
9 नवंबर, 1985 को पूर्व प्रधानमंत्री और तत्कालीन भाजपा अध्यक्ष, अटल बिहारी बाजपेई ने पौड़ी में आयोजित प्रेसवार्ता में स्पष्ट रूप से कहा था, कि वे व्यक्तिगत रूप से पृथक राज्य की मांग से सहमत नहीं है, किंतु यदि भाजपा का राष्ट्रीय नेतृत्व भविष्य में इस विषय पर अपना दृष्टिकोण इस राज्य के पक्ष में रहता है तो उन्हें कोई दिक्कत नहीं होगी. 1986 में पार्टी के विजयवाड़ा अधिवेशन में पहली बार भाजपा ने पृथक उत्तराखंड राज्य की मांग पर, अपना दृष्टिकोण स्पष्ट करते हुए इसे समर्थन देने का निर्णय लिया था.
अटल बिहारी वाजपेई जी की स्पष्ट मान्यता थी कि, छोटे राज्य कोई विकास की गारंटी नहीं है. इस विषय में उन्होंने उत्तर पूर्वी राज्यों की अस्थिरता और अराजकता का उदाहरण देते हुए कहा था कि, उन्हें आशंका है कि भविष्य में उत्तराखंड का भी कहीं यही हश्र ना हो जाए. उत्तराखंड की मानव संसाधन को उन्होंने देश की पूंजी बताते हुए कहा था कि, उत्तराखंड राज्य को बना भी दिया जाता है तो प्राकृतिक संसाधनों की लूट और राजनीतिक अस्थिरता से यह क्षेत्र अराजकता के दौर में चला जाएगा. अटल जी की स्पष्ट मान्यता थी कि उत्तराखंड राज्य की समस्याओं के हल के लिए छोटी प्रशासनिक इकाइयों का गठन और केंद्र शासित प्रदेश बनाना ज्यादा व्यावहारिक होगा.
आज वर्तमान उत्तराखंड की स्थिति को देखकर लगता है कि, अटल जी की वाणी सच साबित हो रही है. राजधानी के मुद्दे पर राजनीतिक दल आपस में जिस तरह से फुटबॉल खेलते दिखाई दे रहे हैं, उससे जनता का तो फुटबॉल ही बन गया है. पूंजी निवेश की आड़ में भू संपदा और जल संपदा की लूट से यह राज्य आज करा रहा है. इसके साथ ही वनडे सांस्कृतिक कार्यक्रम और पुरस्कारों की राजनीति के कारण इस राज्य की विशेषता और उसके गुण नहीं नेपथ्य में चले गए. उत्तराखंड अकेला ऐसा राज्य है देश का, जहां मुख्यमंत्री का चेहरा तो बदला जाता है, किंतु मुख्यमंत्री के कामों की सजा उसकी कैबिनेट को नहीं दी जाती है यदि चेहरा ही बदलना है तो गुजरात की तरह बदलते जहां पूरी कैबिनेट को बदल दिया जाता.
वर्तमान राजनीतिक अस्थिरता का दौर आज 2022 के चुनाव में कहीं अधिक अराजक होता हुआ दिखाई दे रहा है. इतना ही नहीं एक बार फिर से यह चुनाव अलगाववाद साथ में राजनीतिक अस्थिरता की दृष्टि से और कहीं अधिक हिंसा होने की संभावनाएं भी दिखाई दे रही हैं. भाजपा की इस प्रेस वार्ता के ऑडियो अंश मेरे पास आज भी सुरक्षित है. इस प्रेस वार्ता में तब हमारे साथ इस राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निशंक उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह और उच्च न्यायालय में वर्तमान अपर महाधिवक्ता विनोद नौटियाल भी उपस्थित थे.