December 3, 2024



रंगो से भरा अनूठा चित्रकार बी. मोहन नेगी

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डॉ. अतुल शर्मा


मै कब बी. मोहन नेगी से मिला यह तो ध्यान नही है पर यह ध्यान है कि वह तरुण चुक्खूवाला देहरादून से टाउनहाल का कोई भी कवि सम्मेलन नही छोड़ता था। आज बी मोहन नेगी की याद आई जब मेरी बात नैनीताल के एक संकृतिकर्मी से फोन फर हो रही थी। मै लगभग 25 साल पहले नैनीताल के एक तीन दिवसीय समारोह मे था। वहां बी मोहन नेगी ने बेहतरीन कला प्रदर्शनी लगा रखी थी। यह तो कोई नयी बात नही थी। क्योकि मै जब टिहरी, उत्तरकाशी, चमोली, देहरादून, पौडी़, श्रीनगर गढ़वाल आदि मे आयोजित कार्यक्रमों मे गया तो उनकी कला कविता प्रदर्शनी जरुर लगी मिली। वे मुझ से जब भी मिले तो ये जरुर कहते कि अब पौडी़ आना तो घर पर ही रहना। मै तो देहरादून मे पता नही कितनी बार आपके घर पर आया हूं।

पत्रिकाओं के कवर पेज हो या किताबो के उनके चित्र छपे मिलते। वे भोजपत्र की याद दिलाते। अनूठी कला थी उनकी। हजारो कवियो की उत्कृष्ट कविताओ के साथ उनके पोस्टर दिखाई देते। वे दाढ़ी के बीज मुस्कान बिखेरता चेहरा थे। सड़को पर चलते तो लगता कि रंग चल रहे हों। उन्होने मूर्ति कला फर भी काम किया ।कागज की लुग्दी से मूर्ति भी बना ई। उनका अपना मौलिक तरीका रहा है। विश्वास नही होता कि वे हमारे बीच नही रहे। पुण्य तिथि पर ही नही बल्कि उन्हे हम हर अवसर पर स्मरण करते है।

दूरदर्शन ने उनपर एक डाक्यूमेंट्री फिल्म बनाई थी। जयप्रकाश पंवार ‘जेपी’ ने पहाडनामा के माध्यम से उनसे किया इन्टरव्यू तैयार किया था। और भी लोगो ने उन पर कार्य किया है। हुआ ये कि उन्हे पता चला कि मै पिता जी (स्वाधीनता सेनानी कवि श्री राम शर्मा ‘प्रेम’) पर पांच ग्रंथो का संपादन कर रहा हूं। तब बताया कि मैने भी उनकी कालजयी कविता अमर शहीद श्री देव सुमन पर पोस्टर बनाया था। तब मैने उनसे वह तुरंत मंगवाया और सृजन यात्री ग्रंथ मे उसे कवर पेज (बैक) पर छाप दिया। इतना ही नही उन्होने जो मुझे पत्र लिखा वह बेहद खूबसूरत था। वह भी पुस्तक मे छापा। वह यहां प्रस्तुत है।

सरल स्वभाव नेगी जी पोस्ट आफिस मे कार्य करते हुए कला से आजीवन जुड़े रहे। सृजनयात्री ग्रंथ को मैने बी. मोहन नेगी जी के पास कैसे पहुचाया यह भी रोचक बात है। हमारे अनुज मित्र श्री पवन रावत जी पौडी़ जा रहे थे। मैने उनसे अनुरोध किया कि इसे नेगी जी को दे दीजिएगा। तो वे उत्साहित हो उठे और उन्होने वह ग्रंथ उन तक पहुंचा दिया। जब वे लौटकर देहरादून आये तो हमाये एम. के. पी. कालेज स्थित निवास पर आये और बी. मोहन नेगी से मिलने का अद्भुत दृश्य खींचा। मेरा मानना है कि बी. मोहन नेगी के कार्य सदैव रहेगे। वह अजर अमर है। आने वाली पीढ़ी उन्हे याद करेगी। पर हर जगह अपने कविता पोस्टर की प्रदर्शनी लगाने वाला मुस्कुराता चेहरा कहां मिल पायेगा। वे रंगो की चलती फिरती पेंटिग थे।