November 21, 2024



चंबा की शान – जंगलात का डाक बंग्ला

Spread the love

सोमवारी लाल सकलानी निशांत


टिहरी रियासत कालीन युग में टिहरी नरेश ने अपनी सुविधानुसार अनेकों स्थानों पर अपनी कोठियां और कार्यालय बनाएं और समय-समय पर जन- सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए वहां अपने शिविर कार्यालय स्थापित किए। इतिहास के पन्नों में पुराना दरबार टिहरी, कौशल दरबार, प्रताप नगर महल, कीर्ति नगर और नरेंद्र नगर का ही उल्लेख मिलता है। इसके अलावा भी महाराजा टेहरी ने लोगों की फरियाद सुनने के लिए दूरस्थ स्थानों में अपने कार्यालय हेतु निर्माण कार्य करते रहे। राजगढी, राजबंगा आदि।

धनोल्टी तहसील में जो पुराना भवन है, वह किसी समय मालदार घनानंद ने बनाया था। जो कि बाद में महाराजा साहब को समर्पित हो गया और लंबे समय तक जौनपुर ब्लॉक की तहसील के रूप में यह भवन प्रयुक्त होता रहा यद्यपि अब नया भवन बन गया है लेकिन पुराना भवन भी किसी धरोहर से कम नहीं है। प्रताप नगर में महल के अलावा विभिन्न भवनों के ध्वन्षावशेष आज की रियासत कालीन वास्तुकला के बेजोड़ नमूने हैं।


इसी क्रम में आज मैं बात कर रहा हूं चंबा का “डाक बंगला” यानी अब ‘वन विश्राम गृह’ चंबा, टेहरी गढ़वाल। चंबा प्रखंड होते हुए स्थल भी है जो कि आज नगर पालिका परिषद के नाम से विभूषित है। तल्ला चंबा के विस्तृत क्षेत्र में स्थित “डाक बंगला” भी कभी चंबा की शान माना जाता था। टिहरी नरेश महाराजा नरेंद्र शाह लोगों की फरियाद सुनने के लिए समय-समय पर इस विश्राम गृह में दरबार लगाते थे, ऐसा जानकार लोग बताते हैं। जिनमें पूर्व सैनिक संगठन के अध्यक्ष एवं वर्तमान संरक्षक इंद्र सिंह नेगी के द्वारा जानकारी प्राप्त हुई है। इसके अलावा लोगों की याददाश्त में या भवन “जंगलात का डाक बंगला” के रूप में आज भी जाना जाता है।


आजादी के बाद जब बन सुधार व्यवस्था स्थापित की गई और सकलाना रेंज बनी, तो रेंज कार्यालय जांद्रियाखाल रिंगालगढ के ऊपर (सकलाना) में बनाया। लेकिन जंगलात के अधिकारियों ने अपनी सुविधानुसार चंबा ब्लॉक के बंजियाण्यों यानी तल्ला चंबा मैं कार्यालय बनाकर उसका संचालन करना शुरू किया, जो कि वर्तमान में भी मौजूद हैं। आज भी सकलाना रेंज कार्यालय चंबा में स्थापित है। यह “डाक बांग्ला” वन विश्राम गृह के नाम से जाना गया और आला अफसरों के अलावा यहां तक कि मंत्री गण का तक की आरामगाह बनी। कालांतर में यह “डाक बंगला” उपेक्षा का शिकार हुआ लेकिन सन 2017 में इस का पुनर्निर्माण किया गया।

मेरे निवास स्थल के ठीक सामने 200 मीटर की दूरी पर स्थित या डाक बंगला बांज के जंगल के बीच अवस्थित है। चारों ओर से नजर नहीं आता है। डाक बंगले तक बहुत पुरानी जंगलात के सड़क है जो कि कालेज रोड के नाम से जानी जाती है। यद्यपि आज यह अपनी दुर्दशा पर रो रही है। अतिक्रमण की यह सड़क शिकार हो चुकी है। न जंगलात का इस सड़क पर ध्यान है, न नगर पालिका परिषद, न पीडब्ल्यूडी या किसी और निर्माण एजेंसी का।


जी हां, मैं इस डाक बंगले के जीर्णोद्धार की बात कर रहा था। चार वर्ष पूर्व वन क्षेत्राधिकारी बुद्धि प्रकाश, जो कि वर्तमान में भी सकलाना रेंज के वन क्षेत्राधिकारी हैं, उनके प्रयास के द्वारा इस बंगले की सुचारू रूप से मरम्मत करवाई गई। जिसमें नरेंद्र नगर और मुनी की रेती के डी.एफ.ओ. का योगदान रहा है। वन प्रबंध निदेशक श्री एस. टी. एस. लेप्चा ने इस डाक बंगले का पुनर्निर्माण के बाद उद्घाटन किया। जी. सोनार (चीफ कंजरवेटर) और सुशांत पटनायक (कंसरबेटर) भी उस दौरान उपस्थित थे। 19 नवंबर सन 2017 को यह “वन विश्राम गृह”  के रूप में नए कलेवर में सामने आया। पूर्व माननीय मुख्यमंत्री परम आदरणीय भुवन चंद्र खंडूरी जी भी मेरी याददाश्त में इस डाक बंगले में रुके थे। आज भी अनेकों प्रकृति प्रेमी अधिकारियों और राजनीतिज्ञ इस बंगले में विश्राम करके, प्रकृति का आनंद भी लेते हैं।

विस्तृत आंगन सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ, जंगल के बीच में एकांत स्थल पर अवस्थित यह बांग्ला पुरातन संस्कृति का भी एक अंग है। जहां के रोजमर्रा की दौड़ – भाग के बाद राजा -महाराजा, आला अफसर, विश्राम करने के लिए एकांत स्थान ढूंढते थे और प्रकृति के सानिध्य में रहकर वह उद्दात चिंतन भी करते थे। साथ ही क्षेत्र के जनमानस से भी जुड़े हुए रहते थे। उनकी सुख-सुविधाओं, लोकजीवन और लोक संस्कृति को जानने की भी कोशिश करते थे।




तल्ला चंबा स्थित यह विश्राम गृह यदि 100 मीटर सड़क के द्वारा निचले हिस्से से भी जोड़ दिया जाए, तो यह किसी बड़े पर्यटक स्थल से कम नहीं होगा क्योंकि चंबा की दो महान विभूतियां विक्टोरिया क्रॉस गब्बर सिंह नेगी के स्मारक से यह बंगला जुड़ा हुआ है, साथ ही यदि श्री देव सुमन जी के गांव जौल ओर से भी मात्र 100 मीटर सड़क, जो कि वन विभाग के कारण रुकी गई है, इसका संपर्क हो जाए, तो नागणी से चंबा इस मार्ग से जाने -आने वाले लोगों के लिए भी यह सुखद अहसास कराएगा। साथ ही लोगों को भी सुविधा मिलेगी और आला अफसर और जनप्रतिनिधियों को भी असुविधा नहीं होगी।

बंगले के रखरखाव के लिए चौकीदार की व्यवस्था है। डाक बंगले के बगल में ही चौकीदार के लिए निवास बनाया गया है, जो सभी सुविधाओं से युक्त है। इस डाक बंगले के बाहर लंबी चौड़ी पार्किंग है। आंगन है। बरामदा है। अंदर बहुत बड़ा बैठक और डाइनिंग है। साथ ही अगल – बगल दो बड़े-बड़े कमरे हैं। चौकीदार जी से जानकारी प्राप्त करने के बाद भी विदत हुआ की प्रति कमरे का किराया ₹750 प्रतिदिन-रात है। यदि किसी ने अपने भोजनादि व्यवस्था की मांग की तो उसका भी प्रबंध किया जाता है,जो उनके द्वारा भुगतान किया जाता है।

आज का जन मानस सुख की ओर ध्यान न देकर केवल सुविधाओं के पीछे भाग रहा है। इसलिए इस “डाक बंगले” का महत्व भी कम हो चुका है क्योंकि शहर में बहुत ही सुंदर होटल और विश्राम गृह बन चुके हैं। जहां की अफसर और नेतागण रहना पसंद करते हैं फिर भी कमोबेश आज भी इस डाक बंगले में लोग आते हैं और रहते हैं तथा प्रकृति का आनंद भी लेते हैं।

मेरा शासन-प्रशासन और वन विभाग से निवेदन है कि चंबा से कॉलेज रोड को अतिक्रमण होने से बचाएं। आवागमन सुचारू रूप से संचालित हो सके क्योंकि इस सड़क से शहीद श्रीदेव सुमन राजकीय इंटर कॉलेज चंबा, विद्युत विभाग का बिजली घर, वन विभाग टेहरी डैम रेंज कार्यालय और सकलाना रेंज के वन क्षेत्राधिकारी कार्यालय, राजकीय आयुर्वेदिक अस्पताल तथा सुमन कॉलोनी चंबा का आवागमन का भी इसी सड़क मार्ग है। साथ ही ग्राम ग्वाड़ से डाक बंगले तक सड़क को बनाया जाए ताकि अनावश्यक जाम से भी चंबा को छुटकारा मिले और यहां से सीधा जौल /नागणी होकर के लोगों का आवागमन हो सके। भले ही आज अपने को हम एक विकसित और सभ्य इंसान मानते हैं लेकिन हमारे विकास और सभ्यता की यही निशानी है कि हम नियमों का पालन करें। कानून का आदर करें। अपनी संस्कृति, कला, लोग जीवन और वास्तुकला को संरक्षण दें। प्रकृति के प्रति भी रुझान रखें। साथ ही जन सुविधाओं का भी ध्यान रखा जाए। इसी में हमारा कल्याण है।