April 19, 2025



देवताल – प्रकृति का अनुपम उपहार

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देव राघवेन्द्र बद्री


जिस पवित्र ताल पर श्री कृष्ण भगवान ने की दो बार तपस्या और गए यहां से मानसरोवर भगवान के दर्शन करने के लिए. पवित्र हिमालय शोध एवं संरक्षण तथा धार्मिक सांस्कृतिक यात्रा में हिमालय के पर्यावरण को गहराई से समझने का भी मौका मिला तथा हिमालय में हो रहे परिवर्तनों के आयामों के बारे में भी जाना. हिंदुओं का पवित्र स्थान दिव्य धार्मिक स्थान एवं दिव्य लेक देवताल इसलिए भी खास है क्योंकि मनुष्य के अंदर ज्ञान की धारा प्रभाव करने वाली मनुष्य को सद्बुद्धि प्रदान करने वाली तथा मानव जाति को धर्म के मार्ग पर ले जाकर उसे संस्कारवान बनाने वाले देवी मां शारदा सरस्वती नदी का भी उद्गम स्थान है देवताल हमारे आध्यात्मिक गुरु श्री मोहन सिंह गांव वासी रावत जी की प्रेरणा से 70 के दशक से शुरू की गई देवताल यात्रा इस बार भी विधिवत संपन्न हुई.

इस पवित्र देवताल यात्रा का मकसद यह है हमारी धार्मिक सांस्कृतिक भावना इस स्थान से जुड़ी रहे तथा आने वाली पीढ़ियां इस स्थान का महत्व जानकर अपने जन्म को धन्य करें। श्री मोहन सिंह गांव वासी जी विगत साठ के दशक से हिमालय की यात्रा कर रहे हैं और हिमालय की दिव्यता को आध्यात्मिकता को ग्रहण करके इसके ज्ञान को लगातार आने वाली पीढ़ी को प्रदान कर रहे हैं इतना ही नहीं आध्यात्मिकता का गूढ़ ज्ञान हिमालय का रहस्य तथा हिमालय संस्कृति पर भी आपका जीवन समर्पित रहा सदैव धर्म संरक्षण अध्यात्म संरक्षण तथा संस्कार संरक्षण में आपका योगदान रहा आप की प्रेरणा से ही देवताल यात्रा का आयोजन वर्षों से हो रहा है धार्मिक आध्यात्मिक आस्था से लोग इस यात्रा में जुड़ रहे हैं तथा अपने पवित्र स्थान देवताल का दर्शन करने के योग्य बन रहे हैं


देवताल यात्रा इसलिए भी खास है क्योंकि वह भारत तिब्बत सीमा पर स्थित है जहां पर सीमा दर्शन के साथ साथ हिमालय तथा हिमालय में अपने देश की रक्षा में तैनात सैनिकों के जज्बे को देखने का अवसर भी प्रदान होता है जहां पर एक वृक्ष नहीं है प्राणवायु ऑक्सीजन की बहुतायत कमी है इसके बावजूद भी हमारे देश के जवान सरहद पर दुर्गम हिमालय में 18000 फीट पर अपने देश की रक्षा पूरे तन मन धन से कर रहे हैं.


हिमालय की ऊंची ऊंची श्रृंखलाएं नंगे पहाड़ तथा खूबसूरत दर्रे और दर्रे से निकलने वाली नीले आसमान के स्वरूप धारण किए हुए सुंदर सुंदर छोटी छोटी नदियां नीचे की ओर बह रही है जिनको देखकर मन हर्षित होता है और बार-बार इस स्थान पर इन नजारों के दीदार करने का अवसर मिलने की कामना करता है.

जानकारों के अनुसार देवताल कभी तिब्बत और भारत के व्यापार का रास्ता था तिब्बत के लोग इस रास्ते व्यापार करने के लिए भारत आते थे जो कि काफी समय तक यह चलता रहा लेकिन बाद में किन्हीं कारणवश यह व्यापार बंद हो गया


देवताल एक अद्भुत स्थान है हिमालय की गोद में मानो नीले रंग की झील देवताओं के स्नान करने के लिए बनाई गई हो यहां पर आकर मन की सारी वृतियां खत्म हो जाती हैं और हमारा मन हिमालय में स्थित दिव्य शक्तियों से जोड़कर पवित्र और धार्मिक बन जाता है इस स्थान पर जाकर वापस लौट कर जाने का मन नहीं करता है और बार-बार नीले रंग की इस खूबसूरत झील को देखने का मन करता है. देवताल उच्च दुर्गम हिमालय में स्थित है जिसकी ऊंचाई समुद्र तल से 18500 फिट है जहां पर पहुंचकर ऑक्सीजन की कमी होने लगती है लेकिन संयम के साथ आप में विश्वास और आस्था के साथ मन को ढांढस बनाकर इस स्थान के अनुरूप वातानुकूलित इस स्थान की क्षेत्रपाल केसरी नंदन हनुमान जी सारी यात्रियों की रक्षा करते हैं ऑक्सीजन की कमी तो होती है लेकिन धीरे-धीरे हमारा शरीर इस स्थान के वातानुकूलित हो जाता है.

इस पवित्र यात्रा को सफल बनाने के लिए बद्रीनाथ धाम के सभी अधिकारीगण तथा हमारी भारतीय सेना के जवानों का बहुत बड़ा सहयोग रहा जिनके कारण सभी यात्री सुरक्षित अपनी हो यात्रा कर सकें इसके लिए भारतीय सेना के जवानों के लिए तथा बद्रीनाथ मंदिर समिति के सभी पदाधिकारियों के सहयोग के लिए बहुत बहुत आभार व्यक्त करते हैं.




लेखक हिमालय के युवा पर्यावरण कार्यकर्त्ता है