रमेश पांडेय
स्वक्षता की समस्या का असल कारण क्या है। पहाड़ों से भी उचे ढेरों के रूप में तब्दील हो गया कचरा बनता कहां है और लोगों तक यह कचरा पहुंचता कैसे है।
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रमेश पांडेय
स्वक्षता की समस्या का असल कारण क्या है। पहाड़ों से भी उचे ढेरों के रूप में तब्दील हो गया कचरा बनता कहां है और लोगों तक यह कचरा पहुंचता कैसे है।
महावीर सिंह जगवान
जन गण मन के भारत का मुकुट है हिमालय
मुकेश नौटियाल
जयप्रकाश पंवार ‘जेपी’ के आलेखों की श्रृंखला की प्रस्तुत पुस्तक का शीर्षक ‘गैरसैंण’ भले उत्तराखण्ड की प्रस्तावित राजधानी के बावत सूचनाएं देने का भ्रम देता हो- लेकिन वस्तुतः ऐसा है नहीं।
महावीर सिंह जगवाण
नीति आयोग (राष्ट्रीय भारत परिवर्तन संस्थान) की स्थापना 1 जनवरी 2015 को हुई।
जयप्रकाश पंवार 'जेपी'
हिमालय सदियों से पूरी दुनियाॅ के लिए आकर्षण का केन्द्र रहा है।
महावीर सिंह जगवान
हिमालयी राज्य उत्तराखण्ड के पर्वतीय जनपद रूद्रप्रयाग मे जनपद सृजन के बाद पहली बार
रमेश पांडेय 'कृषक'
जब बहुत छोटा था यानी चोरी की सुरूआत में मिश्री गुड़ या फिर कभी कभीर घर में आने वाली मिठाई जिसमें गट्टे, रेबड़ी, चना जैसी चीजें ही होती थीं।
जयप्रकाश पंवार 'जेपी'
यह बात 1992 के आसपास की होगी, गोपेश्वर के ठीक सामने पहाड़ी की चोटी पर एक गांव है दोगडी कांडई।
जयप्रकाश पंवार 'जेपी'
हिमालय भारत का भाल है। प्रकृति की इस अनमोल धरोहर के दर्शन के लिए देश दुनियां के लोग लालायित रहते है।
जयप्रकाश पंवार 'जेपी'
अच्छी किताबें और अच्छे लोग तुरन्त समझ में नहीं आते। उन्हें पढ़ना पड़ता है।
दीपा रावत पंवार
मध्य हिमालय (उत्तराखंड) की कन्दराएं, पर्वत, घाटियां प्राचीन काल से ही आध्यात्मिक शान्ति की स्थलियां है।
समीक्षक- डाॅ0 अचलानन्द जखमोला
अप्रितम अभिव्यंजनाशक्ति, प्रभावोत्पादकता, संप्रेषणीयता, गेढ़ अर्थवता तथा अनेकार्थता को व्यक्त करने की अद्भुद क्षमता वाली गढ़वाली भाषा पुराकाल से ही अनेक विद्वतजनों के आकर्षण का केन्द्र बनी रही।
डाॅ. प्रीतम अपछ्यांण
गढ़वाली भाषा के स्थापित साहित्यकार व इतिहासकार संदीप रावत की पुस्तक ‘लोक का बाना’ का अध्ययन करने के बाद हमारे लोक के विविध पक्ष खुलते हैं।
जयप्रकाश पंवार 'जेपी'
तुम स्वतन्त्रता के लिए लड़े, मिल गई तुम्हें। अब समानता के लिए लड़ो, मिल जाएगी।
पंकज सिंह महर
पिथौरागढ, यह नाम सामने आते ही दिल स्नेह से भर जाता है मेरा, में इस शहर से 22 किमी0 दूर देवलथल कस्बे का निवासी हूँ।
दीपा रावत पंवार
नगाधिराज हिमालय के पवित्र आँचल सदियों से संसार में अपने अप्रतिम प्राकृतिक सौन्दर्य एवं धार्मिक पवित्रता के कारण आकर्षण का केन्द्र रहे है।
व्योमेश जुगराण
पौड़ी। तब शहर इतना तंग नहीं था। मकानों व घरों के आसपास खाली जमीन/खेत भी खूब हुआ करते थे।
ब्योमेश जुगराण
वरिष्ठ पत्रकार हरीश लखेड़ा की किताब 'उत्तराखंड आंदोलन : स्मृतियों का हिमालय' को इतिहास समझने की 'भूल' कर लेने में कोई हर्ज नहीं है।
चैनल माउन्टेन, मीडिया के क्षेत्र मैं काम करने वाली एक अग्रणी एवं स्वायत्त संस्था है . जो की पिछले 21 सालों से सतत कार्यरत है.
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