अरुण कुकसाल
वो सामने की धार वाला रास्ता रुद्रनाथ का है.
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चंद्रशेखर तिवारी
कुमाऊं अंचल में हिंदी की खड़ी बोली में साहित्य की परंपरा लम्बे समय तक मौखिक रही।
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महावीर सिंह जगवान
मानव के दोनो कानो के मध्य स्थित डेढ किलो के मस्तिष्क से ही हर सवालों के समाधान की प्रबल सम्भावनायें होती हैं।
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जगमोहन सिंह जयाड़ा 'जिग्यांसू'
1970 के लगभग की बात है, हमारे गांव के चाचा बोडा जी बग्वाळ पर दिल्ली चंडीगढ़ से गांव आते थे.
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रमेश पाण्डेय
कहानी के इस शीर्षक को पढ़कर जरूर मन में प्रश्न कौंध रहा होगा कि भद्याव में छांसी जौ, भट का जौला, मडुवा फान, डुबुक, घरौट, चेंसी, पयो तो पकता हैं पर यहां भात कहां से आ गया।
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सत्या रावत
उत्तराखंड सरकार द्वारा घोषित किये गए "ट्रेक ऑफ द ईयर 2017" चाइन्शील बुग्याल में 1 अक्टूबर से 7 अक्टूबर के अंतिम प्रोग्राम में जाने का मौका मिला।
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महावीर सिंह जगवान
सुकून भरी वादियों मे हर दिन की तरह प्रात: होते ही नाना प्रकार के पच्छियों का मधुर कलरव
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हेम गैरोला
घनश्याम दास बिड़ला, ये नाम पिछले 40 वर्षों से मेरी मन - चेतना में एक ख़ास स्थान रखता है।
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रमेश पाण्डेय
कभी देश के समाचार चैनलों से बाहर निकल कर देश दुनियां की खबर भी ली ही जानी चाहिये।
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रमेश पाण्डेय
शायद 1988 की बात होगी उन दिनों गांव में सरकारी ऋणों का खूब हल्ला-गुल्ला था।
- समाचार
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महावीर सिंह जगवाण
दिखावट और बनावट की उलझनो ने मानव को वैचारिक रूप से ऐसे चौराहे पर खड़ा कर दिया है मानो वह संवेदन शीलता और भावुकता को कोषों दूर छोड़ चुका है।
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- किताब
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महावीर सिंह जगवान
बात लगभग 1987 के आस पास की होगी हम पाँचवीं के विद्यार्थी थे।
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अविकल थपलियाल
नाम - आरुषि नौटियाल, उम्र - 10 साल, क्लास - 4th, स्कूल - सरस्वती शिशु मंदिर, घंडियाल, पौड़ी गढ़वाल।
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चंद्रशेखर तिवारी
"रिद्धि को सुमिरों सिद्धि को सुमिरों"
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महावीर सिंह जगवान
बन बनाये रास्तों पर बढना तो आसां होता है।
- प्रवासी
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डॉ० सुरेन्द्र दत्त सेमल्टी
कवितायेँ कवि के मन की उदगार होती हैं, जिनके द्वारा उसका व्यक्तित्व पूर्ण रूप से परिलक्षित होता है|
- किताब
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महावीर सिंह जगवान
पूरे विश्व मे महात्मा गाँधी की प्रासिंकता बढी है जिसमे उनका यह सूत्र सार गर्भित है हिंसा, शोषण से मुक्त हो समाज, प्रकृति सम्मत विकास से दुनियाँ के अभाव दूर हों।
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